भारत में हिंदी पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। अपने उदयकाल से लेकर आजादी के दौर तक और आजादी के बाद आज तक प्रिंट मीडिया हिन्दी पत्रकारिता का प्रमुख स्रोत रहा है। बीते दो दशक में हिन्दी पत्रकारिता डिजिटल हुई। दर्जनों फिर सैंकड़ों टीवी चैनल आए। आज यह यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए अब विशाल और आधुनिक स्वरूप में देखी जा सकती है।
भारत में हिन्दी भाषाई समाचार पत्रों राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार पत्रों की अहम भूमिका रही है। राष्ट्रीय स्तर के दैनिक समाचार पत्रों ने वृहद स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक समेत विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया है, वहीं क्षेत्रीय समाचार पत्रों में भी ऐसे दर्जनों मीडिया समूह हैं, जिन्होंने मजबूत साख, सशक्त पत्रकारिता के साथ ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। हिन्दी भाषाई पत्रकारों ने अपने लेखन, रिपोर्टिंग, खोजपूर्ण, विश्लेषणात्मक आलेखों और परिशिष्ठों के जरिए पत्रकारिता में एक के बाद एक परिभाषाएं गढ़ी हैं। न केवल हिन्दी समाचार पत्रों ने बल्कि पत्रिकाओं ने भी देश में हिन्दी भाषी प्रदेशों के पाठकों का दिल जीता है। कई बड़े समाचार पत्र समूहों ने भी साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक पत्रिकाओं के जरिए हिन्दी पत्रकारिता को नई ऊंचाईयां दी हैं, जिसके लिए भारतीय पत्रकारिता में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
इस बात में भी दो राय नहीं है कि हिन्दी भाषाई समझ और हिन्दी भाषा को पसंद करने वाले प्रदेशों में बड़ी आबादी है। इनकी जिज्ञासा, इनकी हिन्दी में रुचि और हिन्दी मीडियाकर्मियों की उस जिज्ञासा को शांत करने वाली खबरें, आलेख एक जोरदार तालमेल के साथ नजर आते रहे हैं। इसीलिए अंग्रेजी पत्रकारिता के सशक्त और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया स्रोतों के बावजूद हिन्दी पत्रकारिता का भारतवर्ष में गौरवांवित सफर रहा है।
पत्रकारिता का माध्यम हिन्दी हो अथवा अंग्रेजी एक मीडिया हाउस में, एक समाज में, एक प्रदेश और देश में प्रेस रिपोर्टर की महत्ती भूमिका है। रिपोर्टर ही एक ऐसा स्रोत है, जो मीडिया के माध्यम को अपनी रिपोर्टिंग के जरिए ऊंचाईयों पर ले जाता है। रिपोर्टर ही वह स्रोत होता है, जो समाज तक ऐसी सच्चाईयां पहुंचाता है, जिसे बहुत सारे लोग छिपाना चाहते हैं। सरल शब्दों में समझें तो रिपोर्टर ही मीडिया है। रिपोर्टर ही किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका, चैनल या डिजिटल माध्यम की रीढ़ है। जिस समाचार पत्र, पत्रिका, चैनल में रिपोर्टर बेहतरीन होते हैं, बेहतर अनवेषण में सक्षम होते हैं, सच का साथ देने वाले और बिकाऊ नहीं होते वह मीडिया का माध्यम इतिहास रचता आया है। इतिहास रचता रहेगा। लेकिन इसके विपरीत जिस मीडिया हाउस में रिपोर्टर कमजोर होते हैं, पीत पत्रकारिता करते हैं, खबरों को किसी प्रभावना से तोड-मरोड़ कर प्रस्तुत करने के आदि होते हैं, ऐसे मीडिया हाउस ज्यादा नहीं चल पाते। न वह साख बना पाते हैं, नहीं ही समाज में कोई खास प्रभावना छोड़ पाते हैं। ऐसे में एक प्रेस रिपोर्टर के कंधों पर पूरे मीडिया हाउस की साख, पहचान, भविष्य और पाठक की पसंद या नापसंद बनने की ताकत होती है।
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3. अमर उजाला - www.AmarUjala.com
4. पत्रिका - www.Patrika.com
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2. इंडिया टुडे - www.IndiaToday.in
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4. सामान्य ज्ञान दर्पण - www.PDgroup.in
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